तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
खूबसूरती की इंतेहा है तू...
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
इन आँखों को जब जब उनका
दीदार हो जाता है
दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए
त्यौहार हो जाता है
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
खूबसूरती की इंतेहा है तू...
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
इन आँखों को जब जब उनका
दीदार हो जाता है
दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए
त्यौहार हो जाता है
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